रविवार, 11 मई 2014

क्या लिखूं 'माँ' लिखने के बाद..

मैं जानता हूँ आज का  दिन थेंक्स बोलने का है, हर माँ को उसकी सारी कुर्बानियों और जीवन देने के लिए थेंक्यू बोलकर उसका एहसान चुकाने का दिन.. मगर मैं ये औपचारिकता पूरी नहीं कर पाउँगा... क्यूंकि मैं उस एहसान को एक आसान  और महज़ औपचारिक शब्द में नहीं बांधना चाहता.
लेकिन मुझे भी कुछ कहना है आज. जब पूरी दुनियाँ अपनी माँ से बात कर रही है तो मैं भी वो सब कुछ लिखना  चाहता हूँ जो मैं अपनी माँ से बोल नहीं सकता. बडी हिम्मत कर के लिख पाया हू....



मेरी प्यारी माँ, 

            स्थानांतरण में आप छोड़ गईं हैं,,,,,,, 
सारी दुनियां से बड़ा स्मृतियों का संसार..
कितनी ही बातें, नसीहतें, कितनी घटनाएँ और कितने सारे पाठ..
मेरी बड़ी से बड़ी परेशानी का छोटा सा हल
हजारों उलझनों का प्यारा सा सोल्यूशन
किताबों से लेकर ज़िंदगी तक का ज्ञान..
मेरी हर नादान कोशिश पर बड़ा सा कोम्पलीमेंट..
मेरे आसपास रहकर एक पूरा कवच बना दिया था 
मेरे नन्हे सपनो को पनपने दिया, अपने दुनियां से बड़े आँचल की छाँव में..
मेरी हर इच्छा को पंख लगाकर, छोड़ दिया खुले आसमान में ..
मैंने जो करना चाहा उसमे आप जुट गयीं जी जान से...
                       न जाने कितनी ही बातें, जो आपने कभी बताईं भी नहीं 
                      मगर आपके सानिध्य से  मेरे व्यक्तित्व में शामिल हो गयी
    
जीतने पर इतराना नहीं
हारने पर रोना नहीं
गिरने पर धूल झटककर 
फिर से उठ खड़े होना सिखाया 
'लक्ष्य' और 'आदर्श' का फासला
तय करवाया 
मेरी छोटी-छोटी उपलब्धियों पर पीठ थपथपायी 

ऐसी ही ढेरों स्मृतियाँ हैं हमारे साझे की, मैं कभी नहीं बता पाउँगा आपने मुझे क्या दिया? क्यूंकि आपने माँ की तरह कभी उसका एहसास नहीं होने दिया. आपकी हर भावना एक माँ से कभी भी एक रत्ती कम नहीं लगी.. ठीक माँ की तरह डांटना और उसके बाद बुला के समझाना..  और उससे भी बड़ी ताकत थी उस एक अनजान भरोसे की. जो न जाने कब बन गया था कि हर मुश्किल आपसे आकार कह देना.. हर शिकायत आपके पास ले जाकर पटकना.. और समाधान पा लेना...
 जिस दिन आपने जाने की बात की उस दिन सारी दबी जड़ें उखड गईं, यकीन  नहीं कर पाया कि आज तक एक बड़े बरगद की छाया में खेलते कूदते रहे. कभी सोचा ही नहीं उसकी छाँव के बिना जीवन कैसा होगा. अचानक लगा जैसे सर से आसमान गायब हो रहा  है, उससे पहले उस आसमान की परवाह ही नहीं थी.. और ये सब भी आपने एक माँ की तरह किया कि जब माँ तक पास रहती है तब तक अपने होने तक का एहसास भी नहीं होने देती और जब दूर होती है तो उसकी मौजूदगी नज़र आती है... सिर्फ उसका ही वजूद होता है..
      आज भी सेंटर वही है, वही ईमारत, वही लाइब्रेरी, वही  क्लासरूम और कुल मिला के वही cms..                                        

आप नहीं आती न पढाने.......

तो अब  'दिन' ही चला आता है शिक्षक बनकर
अलख सुबह से देर रात तक, बेरुखी के थपेडों से सिखाता रहता है.
और मैं भी एक अनुशासित बच्चे की तरह सीखता रहता हूँ
खुद ही गिरता हूँ, संभालता हूँ, फिर उठकर चल देता हूँ
अब कोई गिला नहीं होता किसी से
किसी से कोई शिकायत नहीं करता
नहीं रूठता किसी से अब..
आज भी जब नहीं चलती क्लास तो मैं दूर कहीं अकेले बैठे पढता रहता हूँ अंग्रेजी के कुछ शब्द
नहीं जाता किसी को बुलाने क्लास के लिए..
जो पढाया जाता है पढ़ लेता हूँ चुपचाप...

        इसका अर्थ ये बिलकुल नहीं है कि मैं बहुत दुखी हूँ, या परेशान हूँ..
        रोता भी नहीं हूँ क्यूंकि कमजोर होना नहीं सिखाया आपने
        जूझता भी नहीं हूँ किसी से, क्यूंकि ऊँचा बनना है मुझे
        निराश, हताश बिलकुल नहीं हूँ, आगे बढ़ना है मुझे
        आपकी शिक्षा को मुकाम देना है, मंजिल तक पंहुचकर
बस इस परिवर्तन के सांचे में ढलने का प्रयास कर रहा हूँ
कुछ समय लगेगा माँ की रिक्तता को भरने में .....
                             क्यूंकि ,
                
       
          माँ का होना भरे-पूरे संसार का होना होता है..
          उसकी सूरत में खुशियों का जादू-टोना होता है..
          लगता रहता है कि तुम गिरोगे तो उठा लिए जाओगे..
          गलती करोगे तो डाट  खा जाओगे
          रोओगे तो चुपा लिए जाओगे...
          

कई दिनों तक खोजा था मैंने आपको उसी लाइब्रेरी वाली ऑफिस में..  
आदतन कदम भीतर ही जाकर ठहरते थे.. और मुंह से निकल पड़ता-"आज मेम नहीं आयीं हैं क्या ?"
भगवान का शुक्र है कि एक आवाज़ मेरे इस पागलपन को छुपा लेती थी
"हाँ बताओ क्या चाहिए"- लाइब्रेरी वाली मेम ऑफिस में लगी अलमारी की आरती उतारते बोल पड़ती.
            आज भी यकीन होता है कि आप यहीं हैं.
         माँ की अनुपस्थिति में उसका संसार हमें घेरे रहता है..
                 

माँ ढूंढता हूँ तुम्हें तुम्हारे  ही जैसे किसी चेहरे में..
आपकी  सूरत तो मिलती सी है, मगर वो माँ नज़र नहीं आती.....

                                                                                                               --आपका बेटा