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बुधवार, 12 जून 2013

आखिर मुरझा गया,
                              वो कोमल पौधा..
जिसे सूरज ने अपनी तपिश से महरूम रखा..
हवा के  तेज रुख ने ,
                            उसकी अनिर्मित जड़ें झकझोर दीं.
और जलाशय के किनारे खड़ा-खड़ा सुख गया..

 
                     
 आज उसने दम तोड़ दिया..

मगर,      सूखने से पहले,   मुरझाते-मुरझाते
            घुटता रहा वो....   जीने की कश्मकश में
           लड़ता रहा.....   अर्जित करने को - हवा, धूप और पानी.
           उसकी आख़िरी सांस में उम्मीद बह गयी......

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