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शुक्रवार, 4 मार्च 2016

सपनों की दुनियाँ का पुल

भोर के सपने 


मैं सपनों का एक पुल बनना चाहता हूं. एक ऐसा पुल जिसके सहारे वे सपने पार हो जाएँ जो अक्सर दरिया में बह जाते हैं. दुनियाँ में जीवित इंसान हर दिन सपने पालता है, मगर उसके सपने कई बार जन्म लेते ही दफन कर दिए जाते हैं, तो कई बार कुछ उम्र के बाद उनकी बाल हत्या कर दी जाती है. कई बार तो जवानी में मार दिया जाता है और कई बार असल म्रत्यु से ठीक पहले.

मैं हमेशा ये जानना चाहता हूँ कि लोग ऐसा क्यों करते हैं. जो सपने हैं वही हमारा इस प्रकृति की ख़ूबसूरती में योगदान है. हम अक्सर जैसा चल रहा है वैसे ही चलना चाहते हैं क्योंकि वो आसां होता है. जबकि असल मे वो भी आसान नहीं होता. क्योनी सब आसान हो गया तो जीवन से ऊब हो जायेगी. मुश्किल परिस्थितियाँ ही हमारे जीवन में रोमांच पैदा करती है और हमारी छुपी हुई प्रतिभाओं को सामने लाती हैं.
हम सपनों के रूप में अपनी रचना की हत्या करते हैं. हम उसे अपनी सहूलियत के लिए दरकिनार कर देते हैं. लेकिन ये सच है कि हम अपने होने के अर्थ से भागते हैं. 

दुनियाँ में जो हो रहा है उसका हिस्सा बनना आसान है. उसी आसानी के पीछे हम भागते हैं. दुनियाँ में जो हो रहा है वो सब तो किसी न किसी के सपने का साकार होना है. किसी ने अपने सपने को हकीकत में बदला है. और हम क्या करते हैं? हम अपना दायित्व निभाए बगैर उसी में शामिल हो जाते हैं ये औपचारिकता पूरी करने कि लो हम भी कुछ न कुछ कर ही रहे हैं. कुछ कर रहे हैं ये बहाना हमें बचाता रहता है. 
लेकिन क्या कभी गौर किया है कि जितना आपको अपने सपने के लिए करना था दरअसल उतना ही आप यहाँ भी कर रहे हैं. अगर उससे कम कर रहे हैं तो आप इंसानी शक्तियो का पूरी तरह उपयोग नहीं कर रहे हैं. इंसान होने से धोखा कर रहे हैं.
ये दुनियाँ खूबसूरती में तब्दील करने के लिए बनी है. हम सब को इसमें अपना अपना योगदान ईमानदारी से देना चाहिए. अपना कर्तव्य जिसके लिए हम इस दुनियाँ में आते हैं उसे इमान दारी से निभाना चाहिए.

अब कर्तव्य के सवाल पर कुछ लोग उलझन में पड जाते हैं कि हमारा क्या कर्तव्य है हमें ईश्वर ने क्यों भेजा है, महाशय आपको ईश्वर ने क्यों भेजा है वही बताने के लिए सपनो का निर्माण हुआ है. 
सपने ईश्वर का हमसे बातचीत करने का एक माध्यम हैं. सपनों के माध्यम से ईश्वर हमें हमारे कर्तव्य बतातें हैं. कभी सोचा है आपने कि सपने हमारे दिल के इतने करीब क्यों होते हैं उन्हें पूरा करने के लिए हम ज्यादा उत्साहित होते हैं. हमारी उनमे दिलचस्पी होती है. इसीलिए क्योंकि ईश्वर हमसे वही करवाना चाहते हैं. वो हमारी भलाई के लिए ही ऐसा काम चुनते है जिससे हमें जीवन रंगीन लगने लगे. दुनियाँ की ख़ूबसूरती दिन्खे तभी हम दुनियाँ को खूबसूरत बना पाएंगे.
तो मैं दुनियाँ के इन सपनों के बीच का पुल बनना चाहत हूँ. मैं उन सपनों को थोड़े दिन के लिए आशियाना दे सकता हूँ. उन्हें ऊर्जा दे सकता हूँ जिससे वे अपनी दिशा में चलना आरम्भ कर दें और फिर उन्हें मैं लगातार देखता रहूँगा जहाँ उन्हें मेरी जरुरत पडेगी मैं वहाँ उपस्थित रहूँगा उनके सपनों को खाद पानी देने के लिए....


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