आखिर मुरझा गया,
वो कोमल पौधा..
जिसे सूरज ने अपनी तपिश से महरूम रखा..
हवा के तेज रुख ने ,
उसकी अनिर्मित जड़ें झकझोर दीं.
और जलाशय के किनारे खड़ा-खड़ा सुख गया..
आज उसने दम तोड़ दिया..
मगर, सूखने से पहले, मुरझाते-मुरझाते
घुटता रहा वो.... जीने की कश्मकश में
लड़ता रहा..... अर्जित करने को - हवा, धूप और पानी.
उसकी आख़िरी सांस में उम्मीद बह गयी......
वो कोमल पौधा..
जिसे सूरज ने अपनी तपिश से महरूम रखा..
हवा के तेज रुख ने ,
उसकी अनिर्मित जड़ें झकझोर दीं.
और जलाशय के किनारे खड़ा-खड़ा सुख गया..
आज उसने दम तोड़ दिया..
मगर, सूखने से पहले, मुरझाते-मुरझाते
घुटता रहा वो.... जीने की कश्मकश में
लड़ता रहा..... अर्जित करने को - हवा, धूप और पानी.
उसकी आख़िरी सांस में उम्मीद बह गयी......