बुधवार, 11 सितंबर 2013

उसने कभी भीख नहीं मांगी,
उसने तो हमेशा रोका है उस भूखे पेट वाली स्त्री को..
जो बढा देती है कटोरा, हर आते-जाते के सामने..
    पेट के लिए
 

ये जानते हुए भी कि कोई अनायास भी नहीं देखेगा..
जानबूझ कर बना देंगे उसे होते हुए भी न होने जैसा..
वो बीच चौराहे पर खडी नहीं दिखेगी किसी को भी .







और कभी-कभी वो कामयाब हो जाती  है खुद को रोकने में..
और धोती के एक पल्लू से पसीना पोंछने के बहाने छुपा लेती है अपना चेहरा ..
...............मगर, जब फिर पेट में कुछ दौड़ता है तो बैचेन हो जाती है..
.....लेकिन जैसे ही एक मासूम आवाज़ उसके कानों को चीरती है,
तो अचानक वो पेट वाली स्त्री छुडाकर खुद से हाथ,
  फैला देती है किसी के आगे.!

गुरुवार, 5 सितंबर 2013

DEAR TEACHERS,

              एक चिटठा गुरु के नाम

                                               - कुमार विनय
जिनके नजरिए से हमें देखने की ताकत मिलती है। जिनके प्रशिक्षण से हमें सही और गलत फैसले लेने का विवेक मिलता है। जो अपनी कर्मठता बुद्धि ज्ञान से हमें भविष्य का श्रेष्ठ नागरिक बनाते है। जिनकी शिक्षा से हमें जीवन को सार्थक बनाने का तजुर्बा मिलता है……. ऐसे ब्रह्म तुल्य गुरुओं का आज शिक्षक दिवस पर वंदन और अभिनन्दन है।
 DEAR TEACHERS,
               हम अपनी आँखों में कुछ सपने लेकर आपके पास आते हैं, और न जाने कब हमारे सपने आपका लक्ष्य बन जाते हैं. आप हमें वो बनाना चाहते हैं जो हम बनना चाहते हैं। बचपने में हमने इतने सपने तो देख लिए पर ये नहीं पता था कि इन्हें हकीकत बनाना इतना आसान नहीं होता। मगर आप ही तो हमेशा सिर पर हाथ रखकर कह देते हो-"बेटा कुछ भी असंभव नहीं है, लगन से मेहनत करो, तुम जरूर सफल होगे। मेरा आशीर्वाद तुम्हारे साथ है।"
   सपने हम सजाते हैं…… और उन्हें हकीकत आप बनाते हैं।
  DEAR TEACHERS,
  चलना तो माँ-बाप ने सिखाया……मगर 
   हमारे ख्वावों को पंख दिए हैं आपने… जीतने को पूरा आसमां 
   हमारी जीत पर उछलते देखा है आपको  …

 हमारी हार पर अपनी उदासी छुपाये 
      हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी है आपने 
 हमारी भावनाओं को शब्द दिए हैं आपने
हमें डांटने के बाद मायूस देखा है आपको…
जब हम अपने लक्ष्य से भटकते हैं और आप हमें सुधारने के लिए हमारी गलतियों पर डांट देते है या गुस्सा होते हैं तो हम बुरा मान जाते हैं। हमें लगता है कि आप हमारे प्रति कठोर हैं…
मगर हम बाद में जान पाते हैं कि उस दिन आपका लंच बॉक्स नहीं खुलता; आपके चेहरे पर साफ़ नजर आती हैं मायूसी की लकीरें,,,,तब हमें एहसास होता है कि हम से ज्यादा आप दुखी होते हैं।
  DEAR TEACHERS,
                 आज न तो माफ़ी मांगने का दिन है ,,,,,और न  डांट खाने का। आज आपसे आशीर्वाद लेने का दिन है। आज आपसे आशीर्वाद लेकर आपसे वादा करने का दिन है। हम आपसे वादा करते हैं आपके मार्गदर्शन में जीत लेंगे आसमान। … पूरे करेंगे अपने सपने और आपके लक्ष्य।
                                             आपके आज्ञाकारी शिष्य……