संगम तट से.....
मकर संक्रांति पर्व से शुरू हुए माघ मेले में आज महापर्व मौनी
अमावस्या का महा-स्नान है. देश-विदेश से लाखों लोग संगम की ओर आवागमन कर रहे हैं.
प्रशासन के पूर्वानुमान के अनुसार मौनी अमावस्या के पावन पर्व पर अस्सी लाख श्रद्धालु
संगम में डुबकी लगाएंगे. विशाल मेला क्षेत्र श्रद्धालुओं से ठसाठस भरा नज़र आ रहा
है. लाखों आ रहे हैं तो हजारों अपने-अपने घरों को वापस लौट रहे हैं. इन्हीं महा-स्नान
पर्वों पर संगम दुनियां का सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला स्थान बन जाता है. जहां विभिन्न
देशों, प्रदेशों, क्षेत्रों, गांवों और कस्बों से लोग आकर एक साथ संगम किनारे
एकत्रित होते हैं. जहां हजारों संस्कृतियाँ और सभ्यताएं एक साथ संगम के जल में
डुबकी लगती हैं. और हर जाति, धर्म और संप्रदाय के लाखों लोग बिना किसी भेदभाव के एक
साथ गाते-बजाते, खाते-पीते, नहाते-धोते हैं. सचमुच ये दुनियां का ऐसा एकमात्र
अनोखा स्थान है जहां मानवता का महा-संगम होता है.
इतने बड़े मेले का ‘क्राउड मेनेजमेंट’ भी प्रशासन के पसीने छुटा देता
है. मेले के सफल आयोजन के लिए सच में मेला प्रशासन की व्यवस्था काबिले तारीफ़ है. और
इसीलिये संगम पर दुनियां का सबसे बड़ा ‘क्राउड मेनेजमेंट’ दुनियां के लिए एक मिसाल
बन जाता है. आज भी मेला प्रशासन मुस्तैद है. लोगों के मेले में प्रवेश से लेकर
भ्रमण, स्नान तथा ठहरने की समुचित व्यवस्था करने के साथ-साथ उनके मेला क्षेत्र
छोड़कर सुरक्षित अपने-अपने गंतव्य को रवाना होने तक सारी व्यवस्था का जिम्मा मेला
प्रशासन का ही है. मसलन अगर आप मेला क्षेत्र में हैं तो आपके स्वास्थ्य, सुरक्षा
आदि की जिम्मेदारी मेला प्रशासन की है. और इस जिम्मेदारी को मेला प्रशासन ने जिस
ढंग से निभाया है- अपने आप में एक मिसाल है.!
माघ मेले में शांति बनाये रखने और हर स्थति पर तत्काल नियंत्रण पाने हेतु
मेला क्षेत्र को तीन-जोन तथा पांच-सेक्टर में विभाजित किया गया है. प्रत्येक
सेक्टर में अलग-अलग कई रैंक के पदाधिकारिओं की नियुक्ति की गयी है, जो हर समय मेला-प्रभारी
मुख्यालय से संपर्क में रहते हैं. कोई भी अप्रिय घटना होने पर मुख्यालय सभी सेक्टरों
को अलर्ट जारी कर देता है. प्रभारी मुख्यालय से ही मेला क्षेत्र में आये हुए श्रद्धालुओं
को दिशानिर्देश जारी किये जाते है जो पूरे मेला क्षेत्र में लगे लाउड स्पीकरों के
माध्यम से जन-जन तक पहुँचते हैं.
कड़ी सुरक्षा व्यवस्था–
इतनी भारी संख्या में मौजूद भीड़ की सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हैं. ए.टी.एस.
की तीन टीमें, दो कंपनी आर.ए.एफ. तथा नौ कंपनी पी.ए.सी, पूरे मेला क्षेत्र में चप्पे-चप्पे
पर कड़ी नज़र रखेंगे. वहीं जल पुलिस के 37 गोताखोर स्नान घाटों पर सुरक्षित स्नान
हेतु तैनात किये गए हैं. विशाल मेला क्षेत्र में 1287 पुलिस कांस्टेबल, 190 फायर पुलिस के जवान,
रेडियो पुलिस के 115 जवानों के साथ ही महिला पुलिस की वीरांगनाएं भी लगातार मुस्तैद रहेंगी.
मौनी अमावस्या पर स्नानार्थियों की भारी संख्या को ध्यान में रखते हुए मेला प्रशासन ने १२ स्नान घाट तैयार किये हैं. जिससे आने वाले श्रद्धालुओं को संगम में डुबकी लगाने में विलम्ब तथा भीडभाड जैसी किसी परेशानी का सामना न करना पड़े. घाटों पर बेरीकेटिंग कर स्नान के लिए एक सीमा रेखा बना दी गई है जिससे स्नान के दौरान कोई डूबने न पाए. इसके साथ ही स्नान घाटों के आसपास अस्थाई चेंजिंग रूम भी बनाये गए हैं. जिससे स्नान के बाद महिलाओं को खासी दिक्कतों का सामना न करना पड़े. स्नान घाटों के किनारे बालू अधिक होने के कारण भारी मात्रा में पुआल बिछा दी गई है.
मेले में आने वाले भक्तों को कड़ी ठण्ड से बचाव के लिए मेला क्षेत्र
में ४२५ टेंट के अस्थाई रैन बसेरों की स्थापना की गई है. जिनमें गर्म कपड़ों के साथ
ठहरने की समुचित व्यवस्था की गई है. और साथ ही मेला क्षेत्र में मुख्य चौराहों तथा
भीड़ वाले स्थानों पर अलाव जलाये जा रहे हैं.
किसी भी आपातकालीन हालात से निपटने के लिए भी प्रशासन ने कमर कस ली
है. स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं के लिए मेले में २६ एम्बुलेंस २४ घंटे लोगों की सेवा
में तत्पर हैं, वहीं २२ चिकित्सालय मेला क्षेत्र में ही स्थापित किये गए है, जिनमे
प्राथमिक चिकित्सालयों के साथ ही आयुर्वेद और होम्योपेथिक चिकित्सालय भी शामिल
हैं....
......तो आप भी पधारिये संगम तट पर. और पावन गंगा-यमुना-सरस्वती के जल में डुबकी लगाकर खुद को पवित्र करिये. और साथ ही इस मेले में विविधताओं के संगम के अनूठे दृश्यों से रूबरू होइए और मेरा यकीन मानिये आप भी डूब जायेंगे इस भक्ति के संगम में- तन से,,, मन से ... धन से ..!
पधारो संगम तीर..............
my this write up is publish on a news website.. http://dhamakaupdate.com/?p=1950
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