उसके मिलने के बाद मैंनें किसी से दोस्ती नहीं की.
उसने मेरे हजार दोस्तों की कमी पूरी की.
और मैं उससे हमेशा हजार दोस्तों जितनी उम्मीदें करता रहा,
उसने मेरी 999 उम्मीदें पूरी कीं, पर मैं बाकी एक उम्मीद के पूरी न होने पर झगडता रहा.......
मगर,
वो अपनाए रहा मुझे, मेरी सारी ग़लतियों के बाबजू़द...
कई बार सोचता हूं कि मैं क्या हूँ उसके बिना? पर
फिर भी कभी-कभी हिम्मत नहीं जुटा पाता कि सिर झुकाकर माफी मांग लूँ , और कह दूं- "तुम इस ब्रह्मांड की सबसे खूबसूरत और सच्ची दोस्त हो! मुझे कभी अकेला मत छोडना"