गुरुवार, 3 दिसंबर 2015

चल पड़े हों ये कदम..

चल पड़े हों जिस तरफ भी,
ये कदम फिर ना डिगें.

फासला कितना भी हो,
मंजिल से पहले ना रुकें..
हौसला दिल में हो इतना,
मुश्किलों से ना डरें..
ठोकरें खाकर उठें फिर,
मन में निराशा ना भरें...
मंजिलें तकती हैं राहें,
चल चला साथिया...!

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें