बुधवार, 10 फ़रवरी 2016

विजेता_के_लिए‬,

जब ख्वाब को कोई चोट लगे 
जब आँखे झुककर छिपना चाहें
जब साँसों मे कोई आह लगे 
जब रुककर हम कुछ रोना चाहें

जब लगे कि कदम नही बढते हैं 
तन बस गिरकर सोना चाहे..
तब मेरे ओ प्यारे साथी..!

तुम झुकना मत, बस रुकना मत
तुम मेरा हाथ थाम लेना
तुम गिरना मत, बस हारना मत
तुम मुझे सिखाना और मैं तुम्हें संवारुंगा
तुम होगे संग तो कोई राह निकालूँगा....

वक़्त भी एकदिन बदलेगा
फिर अपना कर्म भी रंग लेगा
हम चलते रहेंगे धुन अपनी
कल अपना हुनर भी चमकेगा..!
इतना कुछ है इस दुनियाँ मे
कि वक़्त नहीं है एक पल खाली
क्यों हम बैठें किसी शोक में
चल उठ दे हाथ बजाएं ताली

इस दुनियाँ के कैनवास पर
कितने रंग हैं देखेंगे
फिर खुद को रचकर दुनिया को
कुछ ऐसे ढंग से रच देंगे
कहीं रंगोली-कहीं मटमैली सी
एक इबारत लिख देंगे
जितना रब ने भेजा है
उसका सबकुछ सबको दे दें
सांसे चल रही हैं अभी साथ-साथ
तो आओ जिंदा होने का सबूत दे दें..!


विजेता_के_लिए‬, जो जीत के लिए जन्मा है.

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