ट्विटर ने आतंकी गतिविधियों से जुड़े सवा लाख अकाउंट बंद कर दिए. इनमें से ज्यादातर खाते आतंकी संगठन आईएस से जुड़े थे, जिनका प्रयोग धमकियां और आतंकी भावना उकसाने के लिए किया गया था.
ऐसे में इन खातों को रद्द करने की पहल सराहनीय है.
सोशल मीडिया के जरिए इंटरनेट पर बढती घुसपैठ के लिए सरकार कोई पुख्ता प्रणाली नहीं बना पाई है. हाल ही में आई एस में भर्ती होने जा रहे युवकों की गिरफ्तारी से पता चला था कि उन्हें सोशल मीडिया के जरिए भडकाकर जोड़ा गया था.
सोशल मीडिया का विस्तार और आजादी आतंरिक सुरक्षा के लिए खतरा भी है. भारत में आतंकी तारों को जोड़ने के लिए इंटरनेट का प्रयोग कई बार सामने आ चुका है. लेकिन सरकार अभी तक ऐसा कोई तंत्र नहीं बना सकी है जिससे इन दुरुपयोगों पर लगाम कसी जा सके. आने वाले समय में साइबर हमले होंगे और उसके लिए अभी से कदम उठाना जरुरी हो गया है. एक तरफ जहाँ सरकार सबकुछ डिजिटल करने की योजनाएं चला रही है, वहीं उसकी सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैं.
सरकार ऐसी संस्थाओं से साझेदारी कर ऐसे खतरों का मुकाबला करने की रणनीति बना सकती है. निश्चित रूप से सोशल मीडिया कंपनियों के पास ऐसे खातों की गतिविधियों की पूरी जानकारी रहती है, जिससे वे न सिर्फ ऐसी गतिविधियों पर निगरानी रखकर घटनाओं को रोक सकती हैं बल्कि ऐसे आतंकवादी तत्वों को पकड़ने में सरकार की मदद भी कर सकतीं हैं. इस ओर ट्विटर ने भी कदम बढ़ाया है और इन गतिविधियों पर नज़र रखकर त्वरित कार्रवाही करने वाली टीम की संख्या बढ़ाने की बात कही है. ऐसे में सरकार को भी ऐसी टीमें गठित करनी चाहिए जो इन संस्थाओं के साथ इंटरनेट पर निगरानी रखने का साझा काम करे.
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