गुरुवार, 10 मार्च 2016

डूबे कर्ज में बैंक भी दोषी

विजय माल्या पर बैंको के नौ हज़ार करोड के डूबे कर्ज में बैंक भी कम जिम्मेदार नहीं है. पूरे मामले में बैंको की कार्यप्रणाली देखकर समझ आता है कि अगर सतर्कता से कदम उठाये गए होते तो स्थिति काबू में आ सकती थी. जब मामला कोर्ट में जा चुका है तो बैंकों पर भी कुछ सवाल उठ रहे हैं. चिंता की बात ये है कि इनमें देश के ज्यादातर प्रमुख बैंक शामिल हैं.
जब माल्या की कंपनियाँ डूब रहीं थीं फिर भी बैंक उन्हें लोन देते रहे. सीबीआई बार-बार बैंकों से माल्या को फ्रॉड घोषित कर उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराने को कहती रही लेकिन किसी भी बैंक ने रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई. तो क्या बैंक भी उनके साथ मिले हुए थे. क्या बैंक भी हेराफेरी कर रहे थे.
विजय माल्या ने जो संपत्ति कर्ज के लिए गिरवी रखी है वो कर्ज का पन्द्रहवां हिस्सा भी नहीं है. तो फिर किस आधार पर बैंकों ने उन्हें नौ हज़ार करोड का कर्ज दे दिया. क्या लोन लेने के लिए घूस का इस्तेमाल किया गया या बैंकों को अधिक ब्याज का लालच दिया गया. इसकी भी जांच होनी चाहिए.
माल्या ने चार हज़ार करोड रूपये की रकम विदेशों में भेजी है, सी बी आई ने जुलाई में ही बैंकों से सम्बंधित देशों से संपर्क करने को कहा था लेकिन नहीं किया गया. पूरे मामले में बैंकों की संलिप्तता की भी जांच होनी चाहिए. इसकी भरपाई के लिए सरकार का पैसा लगेगा इसलिए जरुरी है आम आदमी के टैक्स के पैसे के इस दुरुपयोग  के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई हो.

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