देश में आज राष्ट्रवाद के नाम पर बहस छिड़ी हुई है. किसी को जेल तो किसी की पिटाई से राष्ट्रवाद की आग और तेज हो गयी है. राष्ट्रवाद को समझाने के लिए एक तरफ जे एन यू में राष्ट्रवाद की एक्स्ट्रा क्लासें शुरू हो गयीं है जिनमें देश के प्रबुद्ध लोग राष्ट्रवाद पढ़ा रहे हैं वहीं हाल ही मे एक सम्मलेन में वित्तमंत्री जेटली ने कार्यकर्ताओं से कहा कि उनके राष्ट्रवाद की जीत हुई है. दोनों के राष्ट्रवाद दो विपरीत धुरियों पर हैं. एक दूसरे के राष्ट्रवाद एकदम उलट होते हुए एकदूसरे पर हमला कर रहे हैं. देश की जनता क्या समझे कि किसका राष्ट्रवाद सही है और किसका गलत? फिर एक सवाल उठता है कि एक आम इंसान के लिए राष्ट्रवाद क्या है? क्या ये सिर्फ एक विचारधारा है जहाँ मतभेद होने पर देश का माहौल खराब हो सकता है. क्या राष्ट्रवाद देश की गरीबी और बेरोजगारी का कोई समाधान देता है या फिर अपने आप में ही एक समस्या बना दिया गया है?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें